Guru Ki Drishti

गुरु की दृष्टि: जीवन में सफलता, सुख और भाग्य का रहस्य | Guru Ki Drishti in Hindi

भारतीय ज्योतिष शास्त्र में गुरु ग्रह (बृहस्पति) को अत्यंत शुभ ग्रह माना गया है। गुरु की दृष्टि को अमृतमयी और वृद्धि का सूचक कहा गया है। ऐसा माना जाता है कि कुंडली में जिस भाव पर गुरु की दृष्टि पड़ती है, वहां सुख, समृद्धि, ज्ञान और भाग्य का संचार होता है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि गुरु की दृष्टि (Guru Ki Drishti) क्या है, इसके प्रकार, जीवन पर प्रभाव और इससे जुड़ी खास बातें।

गुरु की दृष्टि क्या है?

गुरु (बृहस्पति) नवग्रहों में सबसे शुभ और विशाल ग्रह माने जाते हैं। इनकी दृष्टि को कल्याणकारी दृष्टि कहा जाता है। कुंडली में गुरु की 5वीं, 7वीं और 9वीं दृष्टि होती है, जो विशेष रूप से लाभदायक मानी जाती है। जब गुरु किसी भाव या ग्रह को दृष्टि से देखता है, तो वह उस स्थान पर शुभता और उन्नति देता है।

गुरु की दृष्टि के प्रकार

बृहस्पति की तीन मुख्य दृष्टियां

दृष्टि भाव (हाउस) प्रभाव
पंचम दृष्टि 5वां भाव विद्या, बुद्धि, संतान, शुभ विचार, विवेक, रचनात्मकता
सप्तम दृष्टि 7वां भाव विवाह, साझेदारी, सामाजिक प्रतिष्ठा, पारिवारिक सुख
नवम दृष्टि 9वां भाव भाग्य, उच्च शिक्षा, आध्यात्म, वैराग्य, सफलता

1. पंचम दृष्टि

  • व्यक्ति को विद्या, बुद्धि, विवेक और संतान सुख देती है।
  • रचनात्मकता और शुभ विचारों का संचार करती है।
  • जीवन में सकारात्मक प्रेरणा और मार्गदर्शन मिलते हैं।

2. सप्तम दृष्टि

  • विवाह और साझेदारी में शुभ फल देती है।
  • पारिवारिक जीवन में सुख-शांति और सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ाती है।

3. नवम दृष्टि

  • उच्च शिक्षा, ज्ञान, भाग्य और आध्यात्मिक उन्नति में सहायक।
  • जीवन में सफलता और भाग्योदय का कारण बनती है।

गुरु की दृष्टि के जीवन पर प्रभाव

  • सकारात्मक प्रभाव:

  • जिस भाव या ग्रह पर गुरु की दृष्टि पड़ती है, वहां संबंधित क्षेत्र में वृद्धि, शुभता और सफलता मिलती है।
  • शिक्षा, धन, संतान, विवाह, सामाजिक प्रतिष्ठा और भाग्य में वृद्धि होती है।
  • नकारात्मक प्रभाव:

  • यदि गुरु अशुभ या अकारक स्थिति में हो, तो जीवन में चुनौतियां आ सकती हैं।
  • राहु-केतु या अन्य पाप ग्रहों पर गुरु की दृष्टि पड़ने से उनके दुष्प्रभाव कम हो जाते हैं।

गुरु की दृष्टि के विशेष लाभ

  • ज्ञान और शिक्षा में वृद्धि:
    गुरु की पंचम और नवम दृष्टि से व्यक्ति को उच्च शिक्षा, ज्ञान और बुद्धि की प्राप्ति होती है।

  • भाग्य और सफलता:
    नवम दृष्टि भाग्य को जाग्रत करती है, जिससे जीवन में सफलता मिलती है।

  • संतान सुख:
    पंचम दृष्टि संतान सुख और परिवार में सुख-शांति लाती है।

  • धन और समृद्धि:
    गुरु को दक्षिणा या दान देने से धन में वृद्धि होती है, क्योंकि गुरु की कृपा से समर्पित वस्तु कई गुना बढ़कर वापस मिलती है।

  • पाप ग्रहों के दुष्प्रभाव में कमी:
    राहु-केतु या शनि जैसे ग्रहों पर गुरु की दृष्टि पड़ने से उनके नकारात्मक प्रभाव कम हो जाते हैं।

गुरु की दृष्टि से जुड़े रोचक तथ्य

  • बृहस्पति, मंगल और शनि तीन ऐसे ग्रह हैं जिनकी तीन-तीन दृष्टियां मानी जाती हैं, बाकी ग्रह केवल सप्तम दृष्टि से ही देखते हैं।
  • गुरु की दृष्टि का प्रभाव हर व्यक्ति की कुंडली में अलग-अलग होता है, यह उसकी स्थिति और भाव के अनुसार बदलता है।
  • गुरु की दृष्टि को “अमृतमयी” कहा गया है क्योंकि यह जीवन में अमृत समान सुख, ज्ञान और समृद्धि लाती है।

गुरु की दृष्टि के शुभ फल पाने के उपाय

  • गुरु को दक्षिणा, पीले वस्त्र, चने की दाल, हल्दी आदि का दान करें।
  • बृहस्पति वार (गुरुवार) को व्रत या पूजा करें।
  • अपने गुरु या शिक्षक का सम्मान करें और उनसे आशीर्वाद लें।
  • धार्मिक और परोपकारी कार्यों में भाग लें।

निष्कर्ष

गुरु की दृष्टि (Guru Ki Drishti) का जीवन में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। यह न केवल ज्ञान, शिक्षा और भाग्य को जाग्रत करती है, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में शुभता और समृद्धि का संचार करती है। यदि आपकी कुंडली में गुरु की दृष्टि शुभ है, तो समझिए आपके जीवन में सफलता, सुख और उन्नति के द्वार खुले हैं।

FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

Q1: गुरु की दृष्टि सबसे शुभ किस भाव पर मानी जाती है?
A: पंचम, सप्तम और नवम भाव पर गुरु की दृष्टि सबसे शुभ मानी जाती है।

Q2: गुरु की दृष्टि का नकारात्मक प्रभाव कब होता है?
A: जब गुरु अशुभ या अकारक स्थिति में हो, तब नकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं।

Q3: गुरु की दृष्टि से पाप ग्रहों का प्रभाव कैसे कम होता है?
A: गुरु की दृष्टि राहु-केतु, शनि जैसे ग्रहों के दुष्प्रभाव को कम कर देती है और शुभ फल दिलाती है।

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